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21 अगस्त भारत बंद ! आखिर क्या है वज़ह ? जाने इस रिपोर्ट में –

सत्य खबर, मध्यप्रदेश, श्रुति घुरैया :

आज दलित-आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे का भारत बंद बुलाया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने 1 अगस्त को यह फैसला सुनाया कि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर राज्य सब कैटेगरी बना सकते हैं।

बता दें, की सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ”सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए – सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें भी दो शर्त लागू होंगी।

कोर्ट के इस फैसले के बाद National Confederation of Dalit and Adivasi Organisations सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर आज सड़कों पर उतरे हैं। संगठन का कहना है कि यह फैसला आरक्षण के मौजूदा ढांचे को कमजोर करता है। यह वंचित वर्गों को और पीछे धकेलने की कोशिश है।

वहीं, दलित और आदिवासी संगठनों की मांग है कि SC-ST और OBC के लिए आरक्षण पर नया कानून पारित किया जाए और सुप्रीम कोर्ट हाल ही के अपने कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि यह फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है.

बता दें, की बिहार में बंद का सबसे ज्यादा असर दिख रहा है। वही, मध्यप्रदेश में भी भारत बंद का असर दिख रहा है जिसको लेकर पूरे प्रदेश की पुलिस अर्लट पर है. वहीं, देशभर के दलित संगठनों के भारत बंद के एलान को बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भारत आदिवासी पार्टी मोहन लात रोत का भी समर्थन मिल रहा है। साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में हैं।

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